मैं संतुष्ट हूं घर पर हूं

 एक स्त्री का मुख्य काम अपनी शारीरिक और मानसिक जरूरतों को अपने पति के माध्यम से पूरा करना है 

जब मेरी शादी हुई थी तो मैं घर की बड़ी बहू थी, मेरे पीछे। मैने अपनी 2 देवरानियों को उतारा था, घर वालो के सामने मैं कम पढ़ी लिखी थी और कम मॉर्डन थी 

जबकि मेरी दोनो देवरानिया मुझसे ज्यादा पढ़ी लिखी थी। नौकरी करने वाली थी और घर वालो के अनुसार काफी ज्यादा मॉर्डन थी 

मैं भी बहुत खुश थी क्योंकि घर में 2 मॉर्डन देवरानी आने वाली थी 

मैं अपने दोनो देवरो से बोलती 

"आप लोगो के साथ तो नही पर दोनो देवरानी के साथ मैं अपने सारे शौख पूरे करूंगी " 

ये सुनकर मेरे दोनो देवर शर्मा जाते थे 

जब शादी हुई तो पता चला की लड़की पढ़ी लिखी है नौकरी करने वाली है 

लेकिन नौकरी करने और घर संभालने में बहुत अंतर होता हैं 

मेरी सास और कहीं ना कहीं मैं भी ये उम्मीद लगाए रहते थे की नई बहु रानी घर के भी थोड़ा हाथ लगा दे 

मम्मी जी ने बोलने का प्रयास कई बार किया पर कुछ ना कुछ होकर ये बात टाल दी जाती थी 

पर एक दिन मैंने बोला 

" किरण मैं और मां दिनभर रसोई में रहते हैं मां तुमसे उम्मीद लगाए हैं की शाम को तुम घर का कुछ काम कर दो " 

किरण ने बोला 

"भाभी देखिए दिन भर ऑफिस में काम करने केबाद शरीर में इतनी ऊर्जा नही बचती है की घर का काम किया जा सके और वैसे भी आप तो हैं ही घर में तो क्या दिक्कत है " 

मैं चुप थी पर मन ही मन में सोच रही थी की घर से रोज 2 3 किलोमीटर जाना और सारा दिन काम करने के बाद मन कहा करेगा काम करने का 

उसके बाद मैं काम में लग गई सुबह उठते ही बहु रानी को नाश्ता देना टिफिन पैक करना और भी अन्य लोगो को देना इसी के साथ दिन की शुरुवात होती और रात भर यही काम करता 

अब इसके बाद 2021 का समय आया और साथ में कोविड की लहर भी आगया 

मेरे पति और मेरे देवर दोनो इसकी चपेट में आगया 

हम दोनो को लेके जिला अस्पताल में भर्ती किए 

लेकिन शाम को मेरी देवरानी अपने पति को अपने मायके लेके गई और वहां प्राइवेट डॉक्टर से इलाज कराने लगी 

और देवर की स्थिति पहले से सुधरने लगी थी 

लेकिन मेरे पति की स्थिति बिगड़ रही थी, 

मैने देवरानी को बोला की जेठ जी को भी इन्ही डॉक्टर को दिखाते हैं तुम्हारे मायके में शायद ये ठीक हो जाएं 

मेरी देवरानी ने बोला की भाभी डॉक्टर एक दिन का 3000 लेता है 2000 को दवाई है 

और 2000 का ऑक्सीजन का सिलेंडर 

क्या आप ये सब खर्चे देख लेंगी ?? 

ये सुनने के बाद मुझे अहसास हुआ की हां ये खर्चे मैं कैसे देखूंगी मेरे पास तो आए का कोई स्त्रोत ही नहीं है जो पैसे हैं पतिदेव के पास हैं पर वो ऐसी स्थिति में नही की पैसा निकाल के दें 

और अंदर ही अंदर बुरा लगने लगा की काश मैंने भी मॉर्डन होती और पैसा कमाते

पर भोले बाबा की दया से मेरे पति और देवर दोनो ठीक हो गए और घर वापस आए 

देवरानी का भी ऑफिस 1 महीने बाद खुल गया था और सुबह उठ कर उन्होंने बोला भाभी आज लंच बना दीजियेगा ऑफिस खुल गया है 

मैने जल्दी जल्दी सब बनाया, जब वो ऑफिस जाने लगी तो मुझसे टिफिन मांगा मैं देने हो जा रही थी 

तभी पीछे से पापा जी की आवाज आई की प्रसिद्धि बेटा रुको 

मैने बोला क्या हुआ पापा जी तो इसपर उन्होंने कहा अगर इसे लंच ले जाना है तो ये खुद बनाए, कल से ये जल्दी उठे और अपना लंच बना कर खुद ले जाए 

इसपर हम दोनो ने एक साथ पूछा क्या हुआ पापा जी की समस्या है क्या 

पापा जी ने बोला 

समस्या कोई नही है इस बारे में शाम को बात होगी 

शाम को जब अब खाने पर बैठते हैं तो पापा जी फिर अपना फैसला सुनाते हैं 

मेरे पति बोलते हैं क्यों पापा आप ऐसे क्यों कर रहे पापा जी ने बोला 

तुम्हारा पत्नी दिन भर काम करती है सुबह 9 से रात को 9 बजे तक बदले में उसे क्या मिलता है कुछ नही 

छोटी बहुरानी भी काम करती है 11 से 6 तक बदले में उसे पैसे मिलते हैं 

लेकिन ये पैसे वो सिर्फ अपने और अपने पति पर खर्च करती है 

तो देखा जाए तो जितना समय इन्होंने खर्च कर के पैसे कमाए इन्होंने अपने लिए किए 

लेकिन बड़ी बहू को कुछ nhi milta घर में काम करने के बदले 

फिर भी वो निस्वार्थ भाव से सभी के लिए खाना लंच ये सब करती है 

अगर ये सब काम ना करे तो मुझे भी नही लगता की छोटे बेटे और बहू ठीक से पैसे भी कमा पाएंगे 

इस लिए कल से छोटी बहु अपने लिए अलग खाना बनाएंगी और अपना लंच खुद बना कर ले जाएंगे 

इनका कपड़ा ये सब भी ये खुद करेंगी जरूरत हुई तो बताना एक अलग वाशिंग मशीन दिला देंगे 

इसपर तुरंत चोटी बहु ने बोला की पापा फिर मैं नौकरी कैसे करूंगी 

पापा ने बोला ये तुम्हारी समस्या है वो तुम्हारे लिए खाना बना रही है कपड़े साफ कर रही है 

घर को मेंटेन कर रही है इस लिए तुम सुकून से नौकरी कर पा रही हो और पैसे कमा रही हो 

फिर इसी पैसे को अपने ऊपर खर्च कर रही हो 

जब मेरे दोनो बेटो को कोरोना हुआ तो तुमने कमाए पैसे अपने पति पर खर्च किए 

अब बताओ बड़ी को इतनी मेहनत करने में बदले क्या मिला ?? 

उसके पास कोई जवाब नही था 

इसपर पापा जीने कहा 

अगर चाहती हो की ये तुम्हे खाना दे तुम्हारी हिस्से की गृहस्थी भी ये संभाले 

तो अपने वेतन का आधा हिस्सा इसे भी दो 

ताकि कल को जरूर पड़े तो ये किसी के सामने हाथ ना फिला सके 

इस दिन के बाद से ही देवरानी जी को भी ये बात समझ आई 

और मुझे आधी तनख्वाह देने लगी

पिता जी के उठाए इस कदम से चोटी बहु संतुष्ट क्यों की उसे पता है ऑफिस में कुछ भी हो जाए घर देखने वाला कोई तो है 

और मैं संतुष्ट हूं घर पर हूं तो क्या हुआ कभी कोई फाइनेशियल जरूरत हुई तो किसी के सामने हाथ फैलाने की जरूरत नहीं है



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