एक लड़की सुरभि का ससुराल

 सुरभि विदा होकर अपने ससुराल जा चुकी थी। सुरभि का पति राहुल था, जो की पूरी तरह से अपनी मां और शादीशुदा बहन दिशा के कहे अनुसार चलता था। सुरभि को ऐसा लगता था कि राहुल को अगर एक गिलास पानी भी पीना होता था, तो भी जब तक मम्मी नहीं


बोलेंगी, पानी नहीं पिएगा। नंद दिशा का यही हाल था।

अगर सुरभि एक बिंदी भी अपने पति राहुल से मंगवाती थी, तो उसका हिसाब नंद दिशा को देना होता था , और फिर उसका कहना होता था, अभी अभी तो शादी हुई है और चूड़ियां बिंदिया कम पड़ने लगी। सुरभि दहेज में काफी कुछ

लेकर आई थी। लेकिन फिर भी बात-बात पर सुरभि की सासू मां, नंद दिशा और देवर राकेश उसको ताना मारा करते थे। सुरभि के दहेज में एक एसी भी था, जो कि उसके मम्मी पापा ने सुरभि के कमरे के लिए दिया था। लेकिन सासू मां और नंद का कहना था, क्या देवर राकेश के कमरे में एसी नहीं लगेगा? जब देना था, तो दोनों भाई के लिए देते । कड़वा सत्य को लाइक और फॉलो करें

ऐसा भला होता है क्या?

कि इंसान अपनी बेटी को भी दे और अपने दामाद के छोटे भाई के लिए भी दे। यह सारी बातें सुरभि को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं होती थी। बात बात पर सुरभि की सास, देवर राकेश और नंद दिशा जो कि शादीशुदा थी ,लेकिन फिर भी अपने ससुराल से ज्यादा अपने मायके का हिसाब किताब रखती थी, उसे ताने मारते ही रहते थे। राहुल तो सुरभि को कुछ भी नहीं समझता था। इसी तरह से करीब 3 महीना बीत गया। अब गर्मी जाने को थी, लेकिन सुरभि के कमरे में एसी नहीं लगा था, क्योंकि सासू मां का कहना था, जब तक उनके छोटे बेटे राकेश के कमरे के लिए सुरभि के पापा एसी नहीं देंगे,

तब तक सुरभि के कमरे में भी एसी नहीं लगेगा। बहुत ही नीच और घटिया थे, सुरभि के ससुराल वाले, और उसका पति भी। इनमें सबसे अधिक शातिर थी सुरभि की ननंद दिशा, जो की सुरभि की शादी होने के बाद के तीन महीनो में 6/7 बार अपने मायके आ चुकी थी। वह जब भी मायके आई तो सुरभि के शादी में मिले हुए साड़ी और मेकअप लेकर बैठ जाती, और जो कुछ भी उसे पसंद आता, हर बार उठा कर ले जाती। मां और भाई बोलते, हां हां ले जाओ।

वैसे भी इसके पास इतना तो है, और मेकअप करने के लिए शक्ल भी तो होनी चाहिए। शक्ल ही नहीं है तो मेकअप क्या करेगी, और पता नहीं उल्टी सीधी क्या-क्या बातें करके हंसने लगते। सुरभि सब कुछ बर्दाश्त करती थी ,क्योंकि उसकी मां ने सिखा रखा था, कि ससुराल में शुरू-शुरु में काफी कुछ बर्दाश्त करना पड़ता है। उसके बाद धीरे-धीरे सब कुछ ठीक हो जाता है। सुरभि अगर कभी अपने मम्मी पापा से फोन पर बात करती, तो सास,देवर उसका पति और अगर नंद वहां पर होती तो वह भी, कड़वा सत्य को लाइक और फॉलो करें ,सब मिलकर उसकी बातें सुनते, और उसे ज्यादा देर बात नहीं करने देते।

बहुत परेशान हो गईं थी सुरभि । नंद जब अपने ससुराल चली जाती थी, तो भी घंटो सुरभि के पति राहुल से फोन पर बातें किया करती थी, और सुरभि के एक-एक चीज का हिसाब लिया करती थी। राहुल बहुत आराम से सारे हिसाब दिया भी करता था। जैसा बहन समझाती थी ,वैसा ही सुरभि के साथ करता भी रहता था। इसी बीच सुरभि गर्भवती हो गई। अब तो सुरभि के लिए और मुश्किल बढ़ गई। उसे बहुत उल्टियां आती थी ।

लेकिन फिर भी सासू मां और नंद का कहना था, की यह तो हर औरत को झेलना पड़ता है। तुम कोई पहली नहीं हो। इसलिए सारे काम तो तुम्हें पहले की तरह करने ही पड़ेंगे। नंद फोन से सुरभि कितनी बार उल्टियां करती है, यह तक हिसाब अपनी मां और भाई से लिया करती थी। साथ में यह भी बोला करती थी कि इतनी उल्टियां भला होती है? कड़वा सत्य को लाइक और फॉलो करें इसमें से आधे तो वह झूठ मूठ के ड्रामे के लिए करती होगी। तुम लोगों को दिखाने के लिए, कि वह कितनी तकलीफ में है। उसके इस नकली तकलीफ में के चक्कर में मत आना।

नहीं तो कोई काम नहीं करेगी ,और चुपचाप कमरे में आराम करेगी। बुढ़ापे में मां को सारा काम करना पड़ेगा। भला कोई उल्टी करने का ड्रामा कर सकता है क्या? लेकिन दिशा ने राहुल को समझा रखा था, कि दिन में अगर दो बार से अधिक उल्टियां होती है, तो समझ लो वह ड्रामा कर रही है, और राहुल भी उसी को सच मानता था। सुरभि को दिनभर घर के कामों में झोका रखता था। सुरभि की हालत बहुत खराब हो चुकी थी। लेकिन फिर भी वह लोग उसे मायके नहीं जाने दे रहे थे, क्योंकि दिशा ने राहुल को समझा रखा था, कि यह मायके जाएगी तो यहां की बुराइयां करेगी, कि हमने इसके साथ गलत व्यवहार किया है। इससे हमारी बदनामी होगी। जबकि हमने कुछ भी गलत नहीं किया है। इसे अपने घर के रंग में ढालने के लिए थोड़ा कड़ा रहना जरूरी है। इसलिए इसे मायके मत भेजो। लेकिन जब आखिरी महीना आ गया, और अब सुरभि के सास को लगा कि बच्चा अब कभी भी हो सकता है, उन्हें सारी देखरेख करनी पड़ेगी, तो आखरी के 15 दिन पहले उन्होंने सुरभि को राहुल के साथ मायके भिजवा दिया। क्योंकि बहु तो सिर्फ घर के फर्ज निभाने के लिए ,और जिम्मेदारियां निभाने के लिए होती है। बहू के प्रति जो जिम्मेदारियां होती है, वह ससुराल वालों की नहीं होती न, वह तो उसके मायके वाले निभाएंगे। मायके में उसकी हालत देखकर उसके मम्मी और पापा की आंखों में आंसू आ गए। इतनी कमजोर हो चुकी थी वह। खैर मां पापा तो अपनी बेटी के लिए करेंगे ही ,और उन्होंने सुरभि का बहुत ख्याल रखा। कुछ दिनों में सुरभि थोड़ी स्वस्थ हो गई। उसने एक बेटी को जन्म दिया। अब ससुराल वालों ने और भी एक ताना मारना शुरू कर दिया, और बोलने लगे, कैसी लड़की है? हमारे खानदान की परंपरा तोड़ दी । हमारे यहां तो पहला बच्चा बेटा होता है। मेरा पहला बेटा राहुल था, उसके बाद दिशा हुई ,उसके बाद राकेश। कड़वा सत्य को लाइक और फॉलो करें हमारे खानदान में सबको पहला बच्चा बेटा ही हुआ है। यहां तक कि मेरी बेटी दिशा को भी पहला बच्चा बेटा ही हुआ है। यह तो है ही अपशगुनी। पहला बच्चा बेटी पैदा कर दी।

पता नहीं क्या-क्या उल्टा सीधा सुरभि को बोलने लगे वह गंदे लोग। एक तो सुरभि की तुरंत तुरंत डिलीवरी हुई थी, ऊपर से सास, देवर और नंद के इतने ढेर सारे ताने ,उसे सुनने को मिल गए। सासू मां को पता था, कि अगर अभी सुरभि को ससुराल ले गए, तो कुछ दिन तो उसकी सेवा करनी ही पड़ेगी, और यह सब तो ससुराल में कोई करने वाला है नहीं। इसलिए सुरभि को मायके भेज दिया गया था और सवा महीना होते-होते जब सासू मां को लगा, कि अब सुरभि थोड़ा बहुत काम करने लायक हो गई होगी, राहुल को भेज कर ,जोर जबरदस्ती से सुरभि को ससुराल बुला लिया गया। सुरभि के मां पापा ने बहुत रोका, की रुक जाइए, अभी सुरभी इतनी कमजोर है, बच्चे को 4/6 महीने का हो जाने दो, तब ले जाना। लेकिन राहुल कहां मानने वाला था। मां और बहन ने उसे पूरा सीखा कर भेजा था। सुरभि बच्चे को लेकर ससुराल आ गई। ससुराल में सुरभि के ऊपर पहले की तरह सारे काम की जिम्मेदारी डाल दी गई। सुरभि जैसे तैसे घर के कामों को करती थी। सासू मां बच्चे को भी नहीं पकड़ती थी। बच्ची रोती रहती थी। सुरभि बच्चा और घर संभालते संभालते बेहाल हो जाती थी। ऊपर से गर्मी थी। सुरभि की बेटी गर्मी से परेशान हो जाती थी, और रात रात भर रोती थी। सुरभि एक दिन राहुल से कहा ,की एसी पड़ी हुई है, जो की शादी में मिली है। उसे कमरे में लगवा दो। मेरे लिए न सही, अपनी बेटी के लिए ही लगवा दो। रात भर गर्मी से रोती है। कड़वा सत्य को लाइक और फॉलो करें। तो सासु मां और दिशा ने सुरभि को ताना मारना शुरू कर दिया, और बोला, हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी ऐसा बोलने की? जब हमने पहले ही बोल दिया है,कि जब तक हमारे छोटे बेटे के कमरे के लिए तुम्हारा बाप एसी नहीं देगा, यह एसी कहीं नहीं लगेगी,

नहीं तो मैं अभी का भी इसे केरोसिन डालकर जला दूंगी। अब सुरभि से बर्दाश्त नहीं हुआ, और उसने बोल दिया, क्यों राकेश का ठेका मेरे पापा ने ले रखा है? राकेश के ससुराल से नहीं मिलेगा क्या? पहली बार आज सुरभि ने जुबान खोली थी। क्योंकि अब हद से ज्यादा हो चुका था। लेकिन दिशा में तुरंत राहुल को इशारा किया, कि अगर आज तुमने तुरंत इसका समाधान नहीं किया, तो यह आगे तुम लोगों के सिर पर चढ़कर नाचेगी, और राहुल ने एक जोरदार तमाचा सुरभि को लगाया। सुरभि को यकीन नहीं हुआ ,कि राहुल उसके ऊपर हाथ उठा सकता है।

उसके बाद राहुल ने ले जाकर सुरभि को उसके मायके में रख दिया, और बोला, रखिए अपनी बेटी को अपने पास । बहुत जबान चलने लगी है इसकी। कहकर राहुल वहां से चला गया। किसी को कुछ समझ में नहीं आया। राहुल के जाने के बाद सुरभि ने सारा किस्सा बताया, तो सुरभि के मां पापा को बहुत दुख हुआ। उन्हें लगा, उनकी बेटी बहुत गलत घर में फंस चुकी है। पर अब क्या कर सकते हैं। शादी के पहले यह सब पता होता, तो कभी भी शादी नहीं करते। कड़वा सत्य को लाइक और फॉलो करें। अब तो एक बच्चा भी हो चुका है। खैर सुरभि ने भी कुछ दिनो तक राहुल को कोई फोन नहीं किया। कुछ दिनों के बाद सुरभि का दिल नहीं माना ,और उसने राहुल को फोन किया ,तो राहुल ने ठीक से बात नहीं की, और बोला, दिशा ने तुमसे बात करने के लिए साफ मना किया है। अगर मैंने तुमसे बात की तो दिशा और मां दोनों को बहुत बुरा लगेगा।

तुम हो ही बदतमीज। दिशा ने सही बोला था ,अगर मैं तुम्हारी बदतमीजी सहता रहूंगा, तो तुम सिर पर चढ़कर नाचोगी। राहुल बात-बात पर अपनी मां और दिशा की जबान ही बोलता था। अपना दिमाग तो बिल्कुल इस्तेमाल नहीं करता था। बीच-बीच में राकेश भी अच्छे से राहुल को भड़कता था। दिमाग से पैदल हो चुका था राहुल। उसे समझ में नहीं आता था, कि उसकी मां, भाई और बहन उसे अपने अनुसार चला रहे हैं। ना कि उसे अपना दिमाग इस्तेमाल करने दे रहे हैं।

सुरभि को भी बड़ा अजीब लगता था, मां का तो तब भी समझ में आता था, बहन दिशा भी लगभग रोज राहुल से फोन पर घंटो बातें किया करती थी, और उसे पता नहीं क्या-क्या समझाया करती थी। कौन से भाई बहन रोज घंटों फोन पर बात करते हैं? वह भी शादीशुदा बहन। राहुल के एक-एक काम के हिसाब लेती थी, उसकी बहन। एक बार तो सुरभि ने फोन पर यह तक सुना था, की दिशा सुरभि के पीरियड्स के डेट तक का हिसाब राहुल से ले रही थी। बहुत गुस्सा आया था सुरभि को। यह कैसे भाई बहन है, की भाभी की एक-एक चीज भाई से जाननी होती है। कोई शर्म लिहाज संकोच नहीं। सिर्फ इसलिए कि अपनी भाभी की जिंदगी तबाह कर सके। कितनी नीच और घटिया औरत है यह।

सुरभि को पता था कि उसकी सास और दिशा महा घटिया औरत है, लेकिन अभी तक वह चुप थी। सुरभि को यह भी पता था की दिशा इतनी बदतमीज है,कि उसने अपने ससुराल में भी सबका जीना हराम करके रखा हुआ है ,और अपने पति के साथ पूरे घर में अपना हुकुम चलाती है। ससुराल में किसी की हिम्मत नहीं होती, दिशा से लड़ने की, और यही हाल उसने मायके में भी कर रखा है। राहुल को पूरा अपने कब्जे में कर रखा है। बहुत गुस्सा आता था सुरभि को, क्योंकि उसका भी सारा वक्त राहुल, दिशा को दे देता था। फोन पर बातें करने में, या अगर दिशा मायके पर होती थी, तो उसके बेडरूम में ही बैठी रहती थी ,ताकि पति-पत्नी करीब ना पाए।

अब तो सुरभी खुद अपने मायके में आ चुकी थी,दिशा की मेहरबानी से, और राहुल उससे कन्नी काट रहा था। अब सुरभि भी अड़ गई थी, कि जब तक राहुल खुद उसे लेने नहीं आएगा, वह अब अपने ससुराल नहीं जाएगी। सुरभि के मां-बाप भी सुरभि का दुख समझते थे। इसलिए उसके साथ कोई जोर जबरदस्ती नहीं कर रहे थे, उसे ससुराल भेजने की । उनका भी कहना था, कि अत्याचार को जितना सहोगी, उतना तुम्हारे ससुराल वाले तुम्हारे ऊपर अत्याचार करते रहेंगे। इसका जवाब तो देना बनता ही है। लेकिन राहुल और उसका परिवार, सुरभि और उसके परिवार को हल्के में ले रहा था। क्योंकि उनके हिसाब से वह लोग इतने दबंग थे,

कि उनसे कोई भीड़ नहीं सकता था। इसी तरह करीब डेढ़ साल का वक्त बीत गया। सुरभी अभी तक मायके में ही थी। बेटी भी लगभग पौने दो साल की हो चुकी थी। अब सुरभी को ज्यादा मायके में रहना अच्छा नहीं लग रहा था, क्योंकि जो जिम्मेदारी राहुल और उसके परिवार की थी, वह जिम्मेदारी सुरभि के मम्मी पापा निभा रहे थे, जो कि कहीं से भी सही नहीं था। सुरभि के मम्मी पापा का कहना था, कि एक बार समाज की तरफ से मीटिंग करके देखते हैं ,और उन्होंने अपने जाति के समाज के मंच पर अपनी समस्या रखी। उनके समाज के अध्यक्ष ने राहुल के परिवार वालों को बुलाया, और सामाजिक रूप से अच्छे से समझाया। दोनों पक्ष की बातें सुनी गई, और समझौता कराया गया, कि राहुल सुरभि को लेकर जाएगा। लेकिन वहां की मीटिंग खत्म होने के बाद, राहुल उसे लेने नहीं आया, क्योंकि दिशा ने मना कर दिया था, और बोला था, अरे समाज क्या होता है? उन्होंने बोल दिया और तुमने मान लिया। कड़वा सत्य को लाइक और फॉलो करें।यह सब कुछ नहीं होता है । बोलने दो उन्हें, क्या फर्क पड़ता है । अगर तुम अभी सुरभि को लेने जाओगे, तो जिंदगी भर तुम्हारे सिर पर नाचेगी। इससे अच्छा, ऐसी पत्नी से छुटकारा पा लो और किसी अच्छी लड़की से शादी कर लो। दिशा ने अच्छे से राहुल का ब्रेनवाश किया। राहुल ने तलाक के कागज सुरभि को भेज दिए। तालाक के कागज देखकर अब सुरभि को समझ में आ चुका था, कि घी अब सीधी उंगली से नहीं निकलेगी। अब उंगली टेढ़ी करनी पड़ेगी। सुरभि के मम्मी पापा को बहुत जोर का झटका लगा था, तलाक के कागज देखकर,

पर सुरभि ने बोला, मम्मी पापा जब तक हम लोग चुप थे, तब तक चुप थे। इसका इन लोगों ने बहुत फायदा उठा लिया। इन लोगों ने मेरे साथ बहुत अत्याचार किए हैं। मुझे खाना तक नहीं दिया, भूखा रखा है, मेरे ऊपर हाथ उठाया है, मानसिक परेशानी दी है, कोई कमी नहीं छोड़ी है मुझे सताने में। ऊपर से शादी के बाद भी काफी दहेज लिया है आप लोगों से। अब मैं इन्हें जवाब दूंगी और इन्हीं के भाषा में दूंगी। सुरभि के मां-बाप को समझ में नहीं आया, कि सुरभि क्या करने वाली है। सुरभि ने सीधा अपने नंदोई को फोन लगाया और बोला, अपनी बीवी के ऊपर जोर नहीं चलता तुम्हारा। नंदोई ने बोला यह कैसी बातें कर रही है आप? सुरभि ने साफ बोला, ज्यादा नौटंकी करने की जरूरत नहीं है। तेरी बीवी से अपना घर तो संभलता नहीं है, मायका संभालने चली है। भाई का घर संभालेगी, और तू कैसा पति है? की तेरी पत्नी ससुराल से ज्यादा मायके पर दिमाग लगाती है, और तेरी औकात नहीं पत्नी को घर में रखने की। बल्कि उसके साथ उसके पीछे-पीछे उसके मायके के पचड़ों में पड़ा रहता है। सुरभि ने बहुत गंदे तरीके से अपने नंदोई से बात की। नंदोई ने भी गुस्से में बोला, अपनी जुबान पर लगाम लगाओ। सुरभि ने बोला, अभी तक तो जुबान पर लगाम लगा रखी थी ,अब जाकर तो मेरी जुबान खुली है। अब देख तेरी बीवी और तेरा में क्या करती हूं? साथ ही बहुत शौक है ना,

तेरी बीवी को मायके का हिसाब किताब रखने का, एक-एक हिसाब किताब ना निकलवाया, तो कहना। अब मैं सीधा थाने पर जा रही हूं, रिपोर्ट करने । मेरे रिपोर्ट में सबसे पहला नाम तेरा और तेरी बीवी का रहेगा। मेरी जिंदगी खराब करके रखी है तुम लोगों ने। उसके बाद तेरे प्यारे ससुराल वालों का। भले तुम लोग सब जमानत पर छूट जाओ, लेकिन कम से कम एक-दो दिन तो पुलिस की ऐसी लाठी पड़वाऊंगी, इतना कुटवायूंगी, इतना कुटवायूंगी, की जिंदगी भर याद रखोगे। जिंदगी भर सही से चलने लायक नहीं बचोगे। यह तो मैंने तय कर लिया है। नंदोई को अब थोड़ा डर लगा ।उसने बोला यह सब आप क्या बोल रही हो? दिशा ऐसा क्यों करेगी? आखिर वह राहुल की बहन है। सुरभि ने बोला ,बहन है तो बहन बनकर रहे न। पत्नी बनने की कोशिश क्यों कर रही है? जितना पत्नी राहुल के करीब नहीं है ,उतना तो बहन ही है। 24 घंटे में से 5 घंटे तो फोन पर बातें करती है ,बाकी वक्त मायके में पड़ी रहती है। यह कौन सा भाई बहन का रिश्ता है? मैंने तो कभी नहीं ऐसा भाई-बहन का रिश्ता देखा। मुझसे तो जायदा राहुल बहन से पत्नी का रिश्ता निभाते हैं, ऐसा ही दिखता है। जो रिश्ता एक पत्नी निभाती है, वह रिश्ता एक बहन निभा रही है। सुरभि बहुत गुस्से में थी और उसने बोलते बोलते मर्यादा की सारी सीमाएं आज लांघ दी, और बोला, कभी-कभी तो शक होता है, कि राहुल की बहन ही है या उसकी रखैल है। क्योंकि जिस तरह से दोनों भाई-बहन आपस में चिपके रहते हैं न,

कोई भी पत्नी यही सोचेगी। बहन है तो बहन बनाकर रहे । मेहमान बनकर मायके आए और जाए । मायका संभालने और मायके की मालकिन बनने की कोशिश क्यों कर रही है? नंदोई ने बोला, आप शांत हो जाओ। मैं बात करता हूं। सुरभि ने बोला कोई जरूरत नहीं है बात करने की। अब तो तुम लोगों को सीधा तुड़वाऊंगी, और इतना तुड़वाऊंगी इतना तुड़वाऊंगी की तुम्हारी सात पुश्ते याद रखें। तुम लोग इस गुमान में हो न कि अगर मैं कोई केस मुकदमा करूंगी, तो सालों केस चलेगा। मैं थक जाऊंगी, मैं हार जाऊंगी, और तुम लोग चैन की बंसी बजाओगे। ऐसा कुछ नहीं होगा। अच्छी खासी पढ़ी लिखी हूं मैं ,और आराम से मुझे कोई भी नौकरी मिल जाएगी। मेरी मम्मी इतना तो कर ही देंगे कि मेरी बेटी को संभाल ले। अपना और अपनी बेटी का खर्च में बहुत आसानी से चला लूंगी। मेरा घर इतना बड़ा तो है ही, की आराम से एक कमरे में अपनी बेटी को लेकर रह लूं । लेकिन तुम लोगों को रगड़ कर न रख दिया, तो मेरा नाम बदल देना। कड़वा सत्य को लाइक और फॉलो करें।तैयार हो जाओ अपने नए जिंदगी के लिए। क्योंकि जब सीधी उंगली से घी नहीं निकलता है न, तो उंगली टेढ़ी करनी पड़ती है। शायद तुम्हें पता नहीं, मैं उंगली टेढ़ी करती ही नहीं हूं, मैं सीधा घी के डब्बे को गैस पर रख देती हूं। कहकर सुरभि ने फोन रख दिया। नंदोई ने तुरंत राहुल को फोन किया, और सुरभि ने उससे क्या कुछ कहा था, वह सारी रिकॉर्डिंग राहुल को भेज दी। सुरभि का यह अंदाज देखकर राहुल, उसकी मां और उसका भाई राकेश घबरा गए, की सुरभि ऐसा भी बोल और कर सकती है। उधर जब नंद दिशा ने सुरभि की वह बातें सुनी, तो अंदर तक हिल गई। नंदोई ने बोला, तुम्हारी जरूरत से ज्यादा दखलअंदाजी, और मायके पर हावी होने की कोशिश ने, आज यह स्थिति कर दी है, कि कभी भी पुलिस हम दोनों को उठा कर ले जाएगी, और अच्छे से हमारी कुटाई करेगी ।चुपचाप अपने काम से काम रखो ,और मायके का लालच छोड़ो। अपने भाई को समझा दो। नंद फोन करके राहुल से बोला ,जाकर जल्दी से जल्दी सुरभि को ले आओ, और उससे माफी मांग लो। नहीं तो हम सब की खैर नहीं । उसके तेवर देखकर समझ में आ गया है, अब वह कुछ भी कर सकती है। राहुल तुरंत सुरभि का घर चला गया, और सुरभी और उसके मम्मी पापा से माफी मांगने लगा।

सुरभि ने जोरदार तमाचा राहुल को लगाया, और बोला ,क्यों अब जब तुम्हारी ही जुबान में तुम्हें समझाया, तो बात समझ में आई। जब तक पत्नी बनकर इज्जत दी, प्यार से अपना बनाने की कोशिश की, तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था। आज जब तुम्हारी जबान इस्तेमाल की तो 1 मिनट में समझ में आ गया। राहुल के पास सुरभि की बातों का कोई जवाब नहीं था। सुरभि ने बोला, यही गुमान है न, की लड़की है, कर ही क्या लेगी? कैसे करेगी? बदनामी इसी की होगी। खर्च कैसे चलेगा? इतना दम रखती हूं, कि यह सब कुछ कर लूंगी। जब तुम लोगों को झेल लिया, तो आगे भी बहुत कुछ झेल लूंगी। लेकिन तुम लोगों का जीना मुश्किल ना कर दिया, तो मेरा नाम बदल देना। राहुल ने बोला, बस एक मौका और देकर देखो। अब तुम्हें शिकायत की कोई मौका नहीं मिलेगा ।पीछे से सुरभि की सास और देवर राकेश भी आ चुके थे। उन्होंने भी बोला, हमें एक मौका और देकर देखिए, हम आपको शिकायत का कोई मौका नहीं देंगे । सब कुछ ठीक हो जाएगा। सुरभि ने बोला,

मेरी एक शर्त है। मैं जब भी ससुराल में रहूंगी, तुम्हारी बहन वहां नहीं आएगी। तुम्हारी बहन वहां तभी आएगी, जब मैं अपने मायके आई रहूंगी। मैं उसकी शक्ल भी नहीं देखना चाहती, और हां राहुल से वह फोन पर कभी बात नहीं करेगी। कभी नहीं मतलब कभी नहीं। मैं उस औरत को अपने आसपास बिल्कुल बर्दाश्त नहीं कर सकती। बहुत ही नीच और घटिया औरत है वह। अपनी मां से मतलब रखें। लेकिन मेरे पति से मतलब रखने कि उसे कोई जरूरत नहीं है। यह तो मेरा पति बन के रह लो या तो उसका भाई बनकर रह लो । यह तुम्हें सोचना होगा, कि तुम्हें क्या बन कर रहना है। लेकिन मेरे रहते उसके पैर उस घर में नहीं पड़ेंगे। राहुल ने बोला, मुझे तुम्हारी सारी शर्त मंजूर है, और सुरभी राहुल के साथ जाने को तैयार हो गई। सुरभि के मां-बाप को डर लग रहा था, की पता नहीं वह लोग वहां ले जाकर क्या करेंगे? सुरभी ने बोला, मम्मी पापा आप लोग डरिए मत । जब तक इंसान झुकता है न, लोग झुकाते हैं, और झुकाते झुकाते एक दिन तोड़ देते हैं।

लेकिन जिस दिन इंसान नीच लोगों को उनकी नीच जबान में ही समझाने लगता है न, और उनसे अधिक नीच होकर दिखाता है न, उस दिन उन्हें अपनी औकात पता चल जाती है। इसलिए अब आप लोग चिंता मत कीजिए। यह लोग अब कुछ नहीं करेंगे, और अगर किया तो इन्हें इन्ही की भाषा में जवाब देना मुझे बहुत अच्छे से आता है, कहकर सुरभि राहुल के साथ अपने ससुराल जाने के लिए निकल पड़ी। रास्ते में ही राहुल ने एसी वाले को फोन कर दिया था, कमरे में एसी लगाने के लिए।

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