पहली - पहली रात पतिदेव के साथ, संभोग करने में जो आनंद है, वो दुनिया के किसी और काम में नही है

 खास तौर पर जब आप की नई-नई शादी हुई है, और एक हैंडसम खूब प्यार करने वाला पति मिला हो।

जब मेरी शादी हुई, तो शुरुआत में मैं और मेरे पति मुकुल एक-दूसरे के प्यार में डूबे हुए थे। हमारी जिंदगी रोमांस और खुशियों से भरी थी। लेकिन जैसे ही शादी के कुछ हफ्ते बीते, हर तरफ से एक ही सवाल सुनने को मिलने लगा, "अब जल्दी से बच्चा करो।" ऐसा लगने लगा जैसे लोगों के लिए हमारी शादी का मकसद सिर्फ एक बच्चा था।

हालांकि, मैं और मुकुल समझदार और पढ़े-लिखे थे। हमें पता था कि बच्चे की जिम्मेदारी बहुत बड़ी होती है। इसलिए हमने तय किया कि पहले दो साल अपनी शादीशुदा जिंदगी को एंजॉय करेंगे और उसके बाद बच्चा प्लान करेंगे। लेकिन प्यार और विश्वास के बीच हमारी नजदीकियां बढ़ीं और इसी दौरान हम दोनों ने शारीरिक संबंध बनाए।

कुछ समय बाद मैंने महसूस किया कि मेरा मासिक चक्र रुक गया है। जब डॉक्टर से सलाह ली, तो पता चला कि मैं मां बनने वाली हूं। मैंने मुकुल को यह खबर दी, और वह तुरंत शादी की बात करने को तैयार हो गए। मुझे लगा, मेरे माता-पिता इसे खुशी-खुशी मान लेंगे, क्योंकि वे मुकुल को पहले से जानते और पसंद करते थे। लेकिन मैं गलत थी।

जब मैंने अपने माता-पिता से बात की, तो उनका रवैया पूरी तरह बदल गया। मेरे पिता ने कहा कि मुकुल से शादी किसी भी कीमत पर मुमकिन नहीं है। उनकी आपत्ति मुकुल के परिवार की स्थिति को लेकर थी—मुकुल के पिता नहीं थे, और उनकी मां उम्रदराज थीं। मेरे पिता ने कहा, "लोग क्या कहेंगे? समाज हमें थूकेगा।"

जब मैंने अपने मां बनने की बात बताई, तो उन्होंने मुझ पर हाथ उठा दिया। मेरी मां ने मेरे पिता को यह बात बताई, और अगली सुबह वे मुझे डॉक्टर के पास ले गए, गर्भपात के लिए। डॉक्टर ने बताया कि गर्भ 3 महीने से ज्यादा का है और इसे गिराना मेरे लिए खतरनाक हो सकता है। इसके बावजूद मेरे परिवार ने दबाव बनाना जारी रखा।

उस समय मुझे एहसास हुआ कि मेरे बच्चे की सुरक्षा मेरी जिम्मेदारी है। जो परिवार मेरी जान की परवाह नहीं करता, वह मेरे बच्चे के बारे में क्या सोचेगा? मैंने मुकुल के साथ शहर छोड़ने का फैसला किया। हम बिना किसी को बताए कहीं और चले गए। इस दौरान मेरे घर से कॉल और मैसेज आते रहे, लेकिन मुझे भरोसा नहीं था कि वे सच में हमारी शादी के लिए तैयार हैं।

मुकुल ने हर कदम पर मेरा साथ दिया। उन्होंने सुनिश्चित किया कि शादी की योजना ठीक से बने। उन्होंने मेरे परिवार को कार्ड बांटने के लिए कहा और हर छोटी चीज की पुष्टि की। आखिरकार, सामाजिक दबाव और मुकुल के प्रयासों के चलते हमारे परिवार ने शादी के लिए हां कर दी।

शादी के बाद मेरा बेटा हुआ, और अब मेरे माता-पिता और भाई उसे बहुत मानते हैं। हमारे रिश्ते पहले से भी बेहतर हो गए हैं। लेकिन यह अनुभव सिखाता है कि अगर माता-पिता अपने बच्चों के साथ खड़े हों, तो समाज की परवाह किए बिना हर मुश्किल को हल किया जा सकता है।

मेरी यह कहानी उन सभी के लिए है, जो समाज और परिवार के दबाव के बीच फंसे हुए हैं। कमेंट में बताइए, क्या शादी से पहले मां बनकर मैंने गलती की, या मेरे परिवार का रवैया गलत था? 


Post a Comment

1 Comments