शादी से पहले और शादी के कुछ दिन बाद तक पति पत्नी के बीच इस कदर प्रेम होता है कि दूसरे को देखें बिना मन व्याकुल रहता है ऐसा लगता है जैसे मछली और पानी का सम्बन्ध हो और होना भी चाहिए, किन्तु शादी के जैसे जैसे दिन बीतने लगते है वैसे वैसे दोनो के बीच खटपट होने लगती है। और कभी कभी बहुत छोटी बात ही परिवार मे विस्फोटक हों जाता है जो एक सच्ची घटना के रूप में प्रदर्शित किया गया है:—-
बड़ी खूबसूरत नवजवान स्त्री, जो करीब पच्चीस वर्ष की लग रही थी जो मेरे सामने उपस्थित हुईं और इधर उधर देखने के बाद मेरे सामने वाली सीट पर बैठ गई।जो केवल एक साड़ी में थी और एक झोला ली हुई थी। मैं अकेले अपनी सीट पर बैठा था और वह भी मेरे सामने वाली सीट पर अकेले ही बैठी थी रात्रि का समय था। यात्री भी बहुत कम थे।नवंबर का आखिरी महीना था ठंड आ चुकी थी और मैं पैन्ट शर्ट के नीचे इनर और पैजामी और शर्ट के ऊपर से एक हाफ स्वेटर पहन रखा था तथा साथ में एक बड़ा बैग लिए हुए था। वह स्त्री इधर उधर देख लेती किन्तु मेरे सामने की सीट होने के कारण नजरें लड़ जाती थी । और मैं भी उसे देख कर सोचने लगा कि :
आखिर यह स्त्री इस सुनसान स्टेशन से चढ़ीं है और इतने कम कपड़ों में इतनी रात को अकेले सफर कर रही है और इसे कोई चढ़ाने भी नही आया था जो मैंने देखा था। कुछ समय के बाद मैंने उससे पूछा कि यह कौनसा स्टेशन था जहां से आप चढ़ीं है।वह बताई किन्तु आवाज इतनी धीमी थी कि मैं सुन नहीं पाया, और न सुन पाने के बाद भी मैंने उससे दुबारा नही पूछा और चुप रहा। कुछ समय बीतने के बाद फिर मैंने पूछा कि- कहा तक जाना है, उसने कहा- लखनऊ इस बार मैंने स्पष्ट सुना था और सुन कर चुप रहा कुछ समय के बाद वह बोली कि आपको कहा जाना है। मैंने कहा कि मुझे भी लखनऊ जाना है। इस प्रकार से हम दोनों के बीच बात चीत होने लगी थी।
रात के दस बज गए थे यात्री कम होने के नाते ठंड और लग रही थी। मैंने अपने बैग से कम्बल निकाला और ओढ़ कर लेटना चाह रहा था किन्तु सामने उस स्त्री को एक साड़ी में ठिठुरते हुए देख कर कंबल ओढ़ कर बैठ गया फिर मैंने उससे पूछा:- आप कोई ऊनी कपड़े नहीं पहनी है और ना तो कोई साल ही लाई है। औरत:— जी असल बात जब मैं घर से निकली थी तो अच्छी धूप थी। मैंने अपना कंबल उसे देते हुए कहा— यह लीजिए ओढ़ लीजिए, वह कंबल को थामते हुए बोली — धन्यवाद
फिर मैंनेपूछा:—- आप ट्रेन रात में पकड़ी और कोई छोड़ने भी नहीं आया था । औरत:— घर पर कोई छोड़ने वाला नहीं था। मैंने पूछा:— और आपके पति क्या करते हैं ? औरत:— कलर्क है। मैंने कहा:— वह घर पर नही थे क्या ? औरत:- नहीं ड्यूटी पर गए थे और उनके वापस आने से पहले ही मै चली आई।। मैंने पूछा,: आपके पति आपको इस तरह से अकेले जाने देते हैं। औरत:— नहीं मैं उनकी नहीं अपनी मर्जी से जा रही हूं। मैंने कहा:— ओ इसका मतलब आप लोगों में खटपट हुईं है और आप मायके जा रही है। औरत:— नहीं मेरा मायका गांव में है। मैंने कहा:- तो आपको अपने मायके जाना चाहिए था। औरत:— मायके में कोई नहीं है मैं अपने मां बाप की अकेली संतान हूं और मेरे माता पिता अब इस दुनिया में नहीं है। मैंने कहा:— ओ,, हो…तो फिर लखनऊ में आपका कौन रहता है। औरत:- मामा के लड़के बैंक में है उन्हीं के पास जा रही हूं। मैंने कहा:— इससे पहले आप उनके यहां गयी है। नहीं पहली बार जा रही हूं उनका पता लिख रखी हूं। मैंने कहा:— क्या आपके पति आपको मारे पीटे है या फिर ऐसी कौन सी बात कह दिया जिससे आप घर छोड़कर चल दी।
औरत:— ज्यादा कुछ नहीं वे जब बाहर से आए तो मैं उनके लिए पानी लें गई, लेकिन मेरा ध्यान किचन मे होने के कारण दरवाजे से टकरा गई और कांच का जग टूट गया , इस पर वे एक जग के लिए मुझे खरी खोटी सुनाई कि मायके का समझ रखी हो, तेरा बाप दिया था, आंख की अंधी है, या तेरी मां ने तुझे यही संस्कार देकर मेरे गले बांध दिया।
मै शांत होकर बैठा रहा और कुछ समय बाद मेरे फ़ोन की रिंग बजी और फोन पर मैंने कहा, हां बोलो क्या है , मैंने तुमसे कहा था कि मुझे फोन मत करना, मैं चाहे कुछ खाऊ या भूखे पेट मर जाऊं, तुमसे क्या, हमारा तुम्हारा रिश्ता आज से खत्म । मैंने फोन काट दिया। थोड़ी देर बाद वह औरत बोली:— इतनी रात को आप किसको डांट रहे थे। मैंने कहा:— मेरी पत्नी थी । औरत:— क्या आप घर से नाराज़ हो कर आए हैं? मैंने कहा:- हां! । औरत:- फोन पर क्या पूछ रही थी ? मैंने कहा:- पूछ रही थी कि कुछ खाया पीया की नहीं । औरत:— फिर भी आप डांट रहे थे। मैंने कहा:— और नहीं तो क्या ऐसी औरत किसी को न मिले । औरत :- क्यूं क्या हुआ था? मैंने कहा:- अरे बात बात में मेरी मां को ताने मार दी। औरत:— फिर आप कुछ नही कहे। मैंने कहा:— क्यों नहीं पहले तो पांच, छः झापड़ जड़ दिया और उसने तो मेरी मां को ही सुनाई थी मैंने तो उसके मां बाप तो क्या पूरे खानदान को चुन चुन कर गालियां दीं।
औरत:— फिर तो आपकी पत्नी बहुत अच्छी है मैंने कहा:— अरे क्या ख़ाक अच्छी है? औरत:— नही तो क्या जिस हिसाब से आप बात कर रहे थे क्या छोड़ देंगे? मैंने कहा:— नहीं लड़ना झगड़ना अपनी जगह है किन्तु छोड़ना ( डिबोस देना) गलत ही नही पाप भी है। क्यों कि शादी विवाह एक बार होता है और जानती है शादी के मण्डप में हवन क्यों होता है? औरत:— क्यों? मैंने कहा:— अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लेते हैं और सात फेरे का मतलब सात जन्मों के रिश्तों में बंध जाना होता है और उस समय स्वर्ग से सभी देवी देवता वर वधू पर फूल बरसाते हैं। औरत:— आपके परिवार में कौन कौन है? मैंने कहा:— मेरे मां बाप मेरी पत्नी और दो बेटे।
कुछ समय के बाद वह उठी और गुसलखाने की तरफ गई, वह गुसलखाने के पास पहुंची हीं थी कि जोर से उसकी आवाज आई, , दूर रहो.. दूर रहो। मै जल्दी से उठकर खड़ा ही हुआ था कि वह दौड़ती हुई आकर मुझे पकड़ कर लिपट गई। मै कुछ समझ पाता कि तब तक एक नौजवान हट्टा कट्टा, फटे पुराने मैले कपड़े पहने हुए ही,,ही,, करता हुआ उसके पीछे पीछे आ गया, ऐसा लगता था जैसे महीनों का नहाया हो। उसे देख कर मुझे समझते देर नहीं लगी। मैंने कहा यह तो पागल है जो गलियारे में बैठा था। उसकी जोरदार आवाज सुनकर बगल वाले कम्पार्टमेन्ट से दो भाईसाहब भी आ गये थे और उस पागल को डांटकर पीछे भगा दिया और वे भी चले गए। और वह स्त्री अब भी मुझे पकड़ें हुए हाफ रही थी। मैंने कहा अरे अब तो वह गया, वह पीछे मुड़ी और मुझे छोड़ते हुए सीट पर बैठ गई।
कुछ देर बाद मैंने कहा अरे अब तो वह वहां नहीं है अब जाओ हो आओ जहां जा रही थी । वह शांत रही तो मैंने कहा कि आओ चलो मैं हूं तुम्हारे साथ वह उठी और गुसलखाने गई, उसके वापस आने तक मैं गलियारे में खड़ा रहा। अब हम दोनों एक ही सीट पर बैठ गए और मैं पैर ऊपर करके बैठना चाहा कि उसका झोला लुढ़क गया और उसमे से मोबाइल छटक गया जिसको मैंने झट से लपक लिया और बोला कि आप के पास मोबाइल है और उसे बंद कर के रखी है । यह ग़लत बात है अगर ओ फोन करना चाहे तो आपका फोन नही लगने पर वह न जाने कितने रिस्तेदारो के यहां फोन कर चुके होंगे।
मैंने उसकी मोबाइल आन करके उसे थमा दिया था और ठीक पांच मिनट बाद बेल बजी और मेरे कहने से वह फोन रिसीव की। उधर से आवाज आ रही थी, हैलो सुमन तुम कहां हो, तुम्हारा फोन बंद होने के नाते सभी रिस्तेदारो के यहां फोन करके पूछ डाला। तुम कहां हो प्लीज बताओ जल्दी। औरत बोली - मै ट्रेन में हूं, लखनऊ राकेश भैया के यहां जा रही हूं । आदमी: — प्लीज सुमन वापस आ जाओ वहां मत जाना आखिर हम दोनो की बेइज्जती होगी और बाद में वही लोग हमारा मजाक बनायेंगे। औरत:— क्यों तुम्हारे लिए तो हमसे ज्यादा वह कांच का जग मायने रखता है ना। जिसके लिए मेरे मरे हुए मां बाप को मेरे सामने ला दिया। आदमी:- सारी सुमन अब से ऐसा नहीं होगा। असल बात मेरी एक व्यक्ति से लड़ाई हुई थी। और घर आते ही तुम बहस कर ली ऐसे में मुझे खुद नहीं पता कि मैं क्या बोल गया और बात इतनी बिगड़ जाएगी। औरत:- ठीक है कह कर फ़ोन काट देती है।
सुबह के साढ़े चार बज चुके थे और ट्रेन प्लेटफार्म नंबर तीन पर पर छोड़ी थी और वहां से हम दोनों प्लेटफार्म नंबर एक पर आ गए और मैंने कन्टीन से दो कप चाय लाया ।चाय पीने के बाद मैंने कहा:-— अब मैं जा रहा हूं लेकिन आप सोच समझ लीजिए कि आपको अपने घर जाना है या रिश्तेदार के यहां! और जहां तक मैं समझता हूं कि जब उस व्यक्ति के ग़लती का एहसास होने पर, उसके बुलाने पर नहीं गई और बाद में जब जाएगी तो आपकी वैल्यू घट जाएगी।
एक बात और कहूं आपके मां बाप आपको इतना अधिक लाड प्यार दे दिया कि आप बाहरी दुनिया से अनभिज्ञ रही और आपके पति बहुत समझदार और बहादुर व्यक्ति है वह आपसे सारी कह रहे है तो इसका यह मतलब नहीं है कि वह डर रहे है वह तो सिर्फ अपने परिवार को बिखरने से बचा रहे है और आपकी मासूमियत से डर रहे है। क्योंकि सफर में हर कोई मेरे जैसा नहीं होता। आपके मासूमियत का गलत फायदा उठा सकता है। औरत:— गलती मेरी भी थी जब वो बाहर से आए तो मुझे पहले समझना चाहिए था।
औरत के मोबाइल की बेल बजी और उसने फोन रिसीव किया।
आदमी :— सुमन प्लीज वहां मत जाना स्टेशन से वापस लौट आओ। औरत रोने लगती है और बोली ठीक है । और मुझे समझ आ गया कि यह अपने घर वापस जाएगी। मैंने कहा।:— मै आपके लिए एक टिकट ला देता हूं जो सात बजे प्लेटफार्म नंबर एक से जाएगी उसी से आप चली जाइएगा। औरत:— और आप। मैंने कहा:— यहां स्टेशन के पास मेरा एक दोस्त रहता है उसी के यहां तीन चार दिन ठहरूंगा । औरत :— नहीं यह ग़लत बात है आपको अपने परिवार में जाना चाहिए आप तो आदमी है इस तरह से आप का घर छोड़ने से आपके बीबी बच्चों के दिल पर क्या बीतेगी?
मैंने अपना बैग उठाते हुए अरे नहीं मैं जा रहा हूं। औरत:—- आपको आपके बच्चों की कसम आपको अपने घर वापस जाना होगा । - बच्चों की कसम सुनकर मेरे पैरों में बेड़ियां सी पड़ गई, क्योंकि मैं अपने बीबी बच्चों से बहुत प्यार करता हूं और मेरा शरीर गुस्से से लाल हो गया था। लेकिन मैं अपने गुस्से को पी गया क्योंकि गलती मेरी थी जो उससे झूठ बोला था।
अब मैं उसे कैसे बताता कि मेरा कोई फोन नहीं आया था और ना मेरे घर में कोई लड़ाई हुई है। मै नाराजगी से नहीं बल्कि ख़ुशी से सिर्फ चिड़िया घर देखने जा रहा था।
मैंने जाकर दो टिकट लाया और ट्रेन आने पर दोनों लोग बैठ लिए और मन ही मन मुझे अपनी वापसी पर दुःख हो रहा था लेकिन इस बात की खुशी भी थी कि एक परिवार को टूटने से बचा लिया। यह सोचते हुए मैं सो गया और वह बैठी रही और उसका स्टेशन आने पर उसने मुझे जगाया और बोली मेरा स्टेशन आ गया अब मैं जा रही हूं। मैंने मजाक किया- आज तो आप बहुत अच्छी लग रही हो। औरत:— और कल नहीं । मैंने कहा:— कल तो उस पागल को अच्छी लग रही थी।
इस पर वह हंसने लगी और हंसते हंसते नीचे उतर गई।
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