सुहागरात की रात जब चादर पर किसी प्रकार का निशान नहीं दिखा, तो सर्वेश ने अपनी नई-नवेली दुल्हन महुवा पर कठोर सवाल उठाए। उसने गंभीरता से पूछा, "तुम्हारी वर्जिनिटी का क्या प्रमाण है? क्या तुमने शादी से पहले किसी के साथ संबंध बनाए थे?" महुवा ने आंखों में आंसू भरकर कहा, "मैंने किसी से कोई संबंध नहीं बनाए। आप मुझ पर ऐसे इल्जाम क्यों लगा रहे हैं?"
सर्वेश का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा था। उसने नाराजगी से कहा, "अगर तुम वर्जिन होती, तो चादर पर खून क्यों नहीं दिखा? हर वर्जिन लड़की को दर्द होता है। तुम्हारे साथ ऐसा क्यों नहीं हुआ?" यह कहकर वह कमरे से बाहर चला गया, बिना महुवा को अपनी बात समझाने का मौका दिए।
अगली सुबह, सर्वेश की माँ सुनयना जी ने जब अपने बेटे को मेहमानों के बीच सोते देखा, तो उन्हें शक हुआ। वह महुवा के कमरे में गईं। महुवा को उदास और अकेला देखकर उन्होंने तुरंत चादर देखी और सारा मामला समझ लिया।
सर्वेश के पिता अमरकांत जी ने गुस्से में महुवा के पिता को फोन करके कहा, "आपने हमें धोखा दिया। आपकी बेटी का चरित्र सही नहीं है। उसे तुरंत यहां से ले जाइए।"
महुवा के माता-पिता जल्द ही वहां पहुंचे। महुवा की माँ ने सबके सामने उसकी मेडिकल रिपोर्ट रखते हुए कहा, "महुवा जब 13 साल की थी, तब एक साइकिल दुर्घटना में उसकी वर्जिनिटी फट गई थी। यह मेडिकल रिपोर्ट इसे स्पष्ट करती है।"
लेकिन सर्वेश ने रिपोर्ट को झूठा ठहराते हुए कहा, "आपने इसे पहले से तैयार कराया होगा। मैं ऐसी लड़की को अपनी पत्नी नहीं मान सकता।"
महुवा के पिता ने गहरी सांस लेते हुए कहा, "महुवा, अपना सामान और गहने ले लो। हम वापस चलेंगे।" जाते समय उन्होंने कहा, "गलती मेरी थी जो अपनी बेटी को ऐसे तंग सोच वाले परिवार को सौंप दिया।"
महुवा अपने माता-पिता के साथ चली गई। वह अंदर से टूट चुकी थी, लेकिन उसने तय किया कि वह अपने जीवन को नए सिरे से शुरू करेगी। यह उसका साहस और आत्मसम्मान ही होगा, जो उसे आगे बढ़ने की शक्ति देगा।
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