लौटा दो मेरा बचपन _

 " उठो बेटा... देखो कितनी देर हो गई, कबकी सुबह हो गई, तुम्हें शूट पर जाने में देर हो रही है न " ?

" प्लीज मम्मी सोने दो न, रोज जल्दी उठा देती हो... नहीं जाना मुझे शूट फूट पर 


चिड़चिड़ाती हुई विनी बोली "

" अरे ऐसे नहीं बोलते बेटा, देखो मैंने आपके लिए आपका फेवरेट ब्रेकफास्ट भी बनाया है, लंच में भी आपके लिए शानदार आपकी पसन्द की डिश लाऊंगी, ठीक है न.... चल मेरी रानी बिटिया तैयार हो जाओ ", कहते कहते छह साल की विनी को उठा ही दिया !!

पिछले दो सालों से यही होता था उस मासूम बच्ची के साथ, शूट के नाम पर उसका मासूम बचपन तो छिन तो गया ही था, उसकी नींद उसका चैन, उसके संगी साथी सब छूटते जा रहे थे, स्कूल तो जैसे छूट ही चुका था!! वो सोचकर रह जाती... मैं अपने दोस्तों जैसी जिंदगी क्यों नहीं जी पाती... कितने मजे से वो सब सोसायटी के गार्डन में ढेर सारे खेल खेलते हैं और मैं हसरत से उन्हें देखती हुई शूट पर चली जाती हूं, वो भी अपना खेलना छोड़कर मुझे देखते रहते हैं, काश हम अपनी जिंदगी बदल पाते!!

विनी अपने छोटे से दिमाग से सोचते सोचने तैयार होकर शूटिंग पर चली गई!!

" सुनो... आजकल विनी बहुत परेशान करने लगी है सुबह उठने में"

" अरे उसकी पसन्द का खिलौना दिला दो "

" नहीं मानती खिलौनों से "

" ऐसा करो एक मोबाइल दिला देते हैं " गेम्स खेलती रहेगी फ्री टाइम में, कैसा रहेगा"

" बहुत बढ़िया, आज क्या काम पर नहीं जाना, अभी तक तैयार नहीं हुए? मैं तो निकल रही हूं विनी के पास"

" सोचता हूं काम छोड़ ही दूं," बेशर्मी से हंसते हुए अशोक विनी के पिता बोले !!

" अरे ऐसा मत करना, नौकरी तो करते रहो"

" अरे जितना महीने में कमाता हूं उससे कई गुना तो मेरी बेटी एक एड में कमा लेती है"

" चलो तुम भी साथ चलो, विनी के और भी एड और सीरियल की फाइनली बात करना है "!!

" चलो घर चलो विनी लो चिप्स खा लो और ये लो कोक "

" पर मम्मी मुझे तो घर के बने दाल चावल खाने हैं गरम गरम, घी डालकर पापड़ के साथ, पता नहीं कब से नहीं खाए मम्मी, मुझे यूनिट में बना खाना, बिल्कुल अच्छा नहीं लगता कितनी मिर्ची रहती है उसमें, मैं खा भी नहीं पाती, मुझे भूख लगती रहती है "!!

" अरे बेटा आज तो मैं थक गई , कुक भी आज छुट्टी पर है, आज तो पिज्जा आर्डर कर देती हूं

कल देखेंगे "!!

" आप बना देना न, सबकी मम्मी तो खुद ही खाना बनाती हैं "

" विनी.... बहुत बोलने लगी हो, बिल्कुल चुप रहो "!!

डांट खाकर विनी सहम गई फिर उसे कुछ याद आया और वो बोली..." पता है मम्मी कल रितु का हैप्पी बर्थडे है शाम पांच बजे पार्टी है, मैं भी जाऊंगी पार्टी में, आप मुझे रेड वाली ड्रेस पहनाना, ओके मम्मी "!!

" कोई पार्टी में नहीं जाना, कल न्यू एड का शूट है

हमें वहां जाना है, अब बकबक मत करो, चलो उतरो घर आ गया "!!

वक्त गुजरता गया, कोई अंतर नहीं.... बस विनी आज अठारह बरस की हो गई, ऊपर से किसी अप्सरा की तरह खूबसूरत पर अंदर से पूरी तरह खोखली , जीवन जैसे मशीन की तरह तरह चलता जा रहा है, मशीन थकती नहीं पर विनी मशीन नहीं... जीती जागती एक प्यारी सी लड़की है, जिसे अब सब कुछ समझ में आने लगा है, वो समझने लगी है.... उसके माता पिता ने उसे पैसा कमाने वाली "मशीन"बना दिया है

उन दोनों को विनी की परेशानियों, तकलीफों से कोई लेना देना नहीं..... पैसा बस पैसा, इसके अलावा और कुछ नहीं दिखता उन्हें!!

अब वो शूट पर अकेली आती जाती है, रास्ते में " गणपति " का मन्दिर देख गाड़ी रुकवाई, मन्दिर में जाकर भगवान के सामने खड़ी हो गई, हाथ जोड़े आंखे बंद की और ईश्वर से प्रार्थना की " हे भगवान, ये कैसी जिंदगी दी आपने मुझे, मैं

थक चुकी हूं ईश्वर ये जिंदगी जीते जीते, मेरे पालक ही ,मेरे भक्षक बन बैठे हैं, आखिर ये अन्याय मेरे साथ क्यों हो रहा है... पूरा बचपन मेरा तरसते तरसते बीता, संगी साथियों के लिए कितना तड़पी, कितना तरसी हूं मैं, क्यों मेरे माता पिता मेरी भावनाओं को नहीं समझते?

कब तक मेरे साथ ये सब होता रहेगा!!

भावुकता में रो पड़ीं विनी.... खुद अपने आंसू पोंछे और स्टूडियो की तरफ़ चली गई!!

अभिनय और खूबसूरती की मिसाल थी विनी ,

अब तो उसे " नायिका" के रोल मिलते थे, अपने भविष्य का फैसला खुद ही लेने का फैसला किया!!

अपनी मर्जी के अनुसार जीवन जीना आरंभ किया, माता पिता से अलग अपना आशियाना बनाया.... स्कूल का साथी अभय.. जिसने पग पग पर सदा उसका साथ दिया उसे अपना हमसफर चुना!!

माता पिता! कमाऊ बेटी से हाथ धो बैठे, इकलौती संतान को भी अपने से दूर कर दिया!!

माना.. पैसा बहुत जरूरी है जीवन के लिए, पर अपने बच्चे का बचपना, उसकी खुशी को तो दांव पर मत लगाइए, ऐसा न हो पैसे की हवस आपको अपने बच्चों से सदा के लिए अलग कर दे!!

Post a Comment

0 Comments