मेरा नाम शालिनी है। मैं विधवा हूँ, और लगभग एक साल पहले मेरे पति का सड़क हादसे में निधन हो गया था। मेरे पास मेरा तीन महीने का बेटा है, जो अब मेरी पूरी दुनिया है। मेरा घर बड़ा है, और अपने खर्चे चलाने के लिए मैंने किराएदार रखना शुरू कर दिया।
एक दिन, एक युवा व्यक्ति मेरे घर किराए पर कमरा लेने के लिए आया। वह सुंदर और गठीले शरीर वाला था। जब उसने पूछा, "क्या आपके मकान में कोई कमरा किराए के लिए खाली है?" तो मैं कुछ पल के लिए उसकी ओर देखती ही रह गई। उसके दोबारा पूछने पर, मैंने उससे उसके बारे में जानकारी ली। उसने बताया कि वह स्कूल टीचर है और पास के स्कूल में पढ़ाता है। मैंने उसे कमरा दिखाया और किराए के नियम बताए, जिन्हें उसने तुरंत मान लिया। अगले ही दिन उसने कमरा शिफ्ट कर लिया और एडवांस के तौर पर मुझे दो हजार रुपये भी दिए।
वह रोजाना अपने काम पर जाता और समय पर लौट आता। एक रात मेरे बच्चे को तेज बुखार हो गया। घर में कोई दवा नहीं थी, और रात के दो बज रहे थे। मैं बहुत परेशान थी और आखिरकार उससे मदद मांगने का फैसला किया। उसने तुरंत कहा, "आप जल्दी आइए, मैं बाइक निकाल रहा हूँ।" मैं अपने बच्चे को लेकर बाहर आई, और हम डॉक्टर के पास गए। डॉक्टर ने दवा दी और बताया कि ज्यादा चिंता की बात नहीं है।
हम घर लौटने लगे। रास्ते में, मेरे दिल में अजीब सी भावनाएँ उमड़ने लगीं। मैं बच्चे को एक हाथ से पकड़े थी और दूसरे हाथ से उसकी पीठ का सहारा लिए हुए थी। मुझे महसूस हो रहा था कि उसकी नजदीकी मुझे सुकून दे रही है। शायद उसने भी यह महसूस किया, इसलिए उसने हल्की-फुल्की बातचीत शुरू कर दी। उसने मेरे बारे में जानना चाहा, और मैंने भी उसे अपनी जिंदगी की कठिनाईयों के बारे में बताया।
जब हम घर पहुंचे, तो उसने मुझसे कहा, "आपको किसी साथी की जरूरत है। आप अभी इतनी छोटी उम्र में अकेली क्यों हैं?" उसकी बातों ने मुझे गहराई तक छू लिया। मैं भावुक होकर उसके कंधे से लग गई और रोने लगी। उसने मुझे सहारा दिया और कहा, "आप परेशान मत होइए, मैं हमेशा आपके साथ हूँ। जो भी जरूरत हो, मुझे बताइए।"
घर लौटने के बाद, मैंने बच्चे को सुलाया और चाय बनाने का सोचा। दो कप चाय बनाई और एक कप लेकर उसके कमरे में गई। उसने चाय ली और कहा, "इसकी क्या जरूरत थी?" मैंने मुस्कुराकर कहा, "यह तो मेरा फर्ज है।" हमारी बातचीत गहराती चली गई। धीरे-धीरे, मैंने उसके प्रति अपने मन में उठ रही भावनाओं को साझा किया।
उसने मेरी आंखों में देखा और कहा, "आप अकेली नहीं हैं, मैं हमेशा आपके साथ रहूंगा।" उस रात हमारी भावनाएँ एक-दूसरे से जुड़ गईं। उसने मुझे सहारा दिया, और मैंने अपने दिल की बातें उसके सामने रख दीं।
अब वह मेरे साथ रहता है। बाहर की दुनिया के लिए वह एक किराएदार है, लेकिन मेरे लिए वह मेरा सहारा और मेरा हमसफर बन चुका है। हमारी यह नई शुरुआत मुझे हर दिन जीने का नया मकसद देती है।
0 Comments