अप्रैल का महीना था शादी विवाह की लगन चल रही थी मुझे भी बारात जाने का अवसर मिला। हमारे एक नजदीकी दोस्त श्याम नारायण जी है।उनके साढ़ू भाई के घर से बारात जानी थी हम दोनों लोग दोपहर में नारायण जी के साढ़ू भाई के घर पर पहुंच गए । साढ़ू भाई ने पानी लाने को कहा तो अन्दर से एक नौजवान स्त्री एक प्लेट में मीठा और पानी लें आई मैंने उससे नमस्ते किया वह बोली नमस्ते मैंने कहा:— पहचान नहीं रही है क्या? स्त्री:— क्यों नहीं भला आपको क्यों नहीं पहचानूंगी पिछली बार आप आए थे हमें याद है । मैंने:— बिल्कुल सही पहचाना। पानी पीने के बाद वह स्त्री अन्दर चली गई ।
उसके जाने के बाद मैंने नारायण जी के साढ़ू से कहा कि यह कौन है उन्होंने ने बताया कि जिस प्रकार से आप आए हैं उसी प्रकार से वह भी आईं है इनका नाम सोनम है जो दूर के रिस्ते में बहन लगती है।
शाम को पांच बजे दूल्हा तैयार हुआ बारात निकलने की तैयारी हुई, डी. जे. बजने लगा औरतें डांस करने लगीं। उन औरतों में सोनम भी थी जो डांस में एक एक कला प्रदर्शित कर रही थी जो बड़ा ही मनमोहक था। कुछ लड़के भी सामिल थे।सोनम शायद अब थक चुकी थी इसलिए खड़ी होकर तालियां बजा रही थी। मैं पास खड़े होकर देख रहा था और डांस का आनन्द ले रहा था। तभी सोनम की निगाह मुझ पर पड़ी और वह झट से मेरे पास आई और मुझे भी डांस करने के लिए धकेलने लगी। मैंने भी मन रखने के लिए कुछ देर डांस किया। डांस बन्द होने पर मैंने कहा कि आप बहुत अच्छा डांस करती हैं और वह बोली, आप हमें बहुत अच्छे लगते है। इसके बाद बारात निकली और बारात के साथ मैं भी निकल गया।
बारात में नाश्ता खाना होने के बाद गांव के कुछ लोग मालिक से बोले कि एक गाड़ी छोड़ दीजिए हम सब घर जाएंगे मालिक ने जाने को कह दिया। मैंने नारायण जी से कहा कि आइए हम लोग भी चल चलते हैं बारात की बिदाई सुबह देर से होगी। इसलिए अभी चले चलेंगे तो सुबह पांच बजे अपनी बाइक से इलाहाबाद निकल जाएंगे।
बारात से एक बजे रात को हम सब घर चले आए। गांव के बाराती तो अपने घर चले गए रह गए हम दोनों। मकान के सामने थोड़ी दूर पर दो कमरों का एक बैठका बना था जो खाली पड़ा था मैंने दो चारपाई कमरे में लगा दिया। अन्दर साइड की चारपाई पर नारायण जी हों लिए जहां अंधेरा था। मेरी चारपाई दरवाजे के पास होने के नाते बाहर की रोशनी मुझ पर पड़ रही थी। मैंने नारायण जी से कहा कि भाई एक चादर मिल जाता तो अच्छा था। उन्होंने कहा कि जाओ वहां से मांग लो घर की सभी औरतें अभी जग रही है। मै चला गया और देखा तो औरतों का नाच- गाने का प्रोग्राम चल रहा था।
मैंने आवाज़ दी तो साढ़ू भाई की मां खुद आई। मैंने एक चादर के लिए कहा तो वो अन्दर लेने चली गई तभी सोनम की निगाह मुझ पर पड़ी और वह उनके हाथ से चादर लेते हुए बोली मां जी आप बैठिए मैं दे आती हूं। वह चादर लेकर आई और मुस्कुराते हुए बोली कि चलूं बिछा दूं। मैंने हंसते हुए मजाक किया, अरे नहीं अभी आप सोने के लिए भी कह देंगी तब ? तब तो हमें फिर से दूसरी चारपाई और चादर खोजना पड़ जाएगा। वह हसते हुए बोली अरे नहीं नहीं आपको खोजने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
मैंने चादर लिया और सीधे अपनी चारपाई पर बिछा कर बैठ गया और मोबाइल चलाते हुए सोच रहा था कि यह स्त्री भी बिल्कुल मेरी तरह ही मजाकिया और खुशदिल है । इसका पति भी इससे खुश रहता होगा। करीब पैंतालिस मिनट बीत चुके थे और मेरी नींद आ चुकी थी और मैं लेटने ही वाला था तभी वह स्त्री आईं और मुझे पकड़ कर चारपाई पर लेटा दिया और मुझे एक किस करना चाही, मैं हड़बड़ा गया और बोला कि अरे…रे.. रे यह क्या ? वह बोली मैं कहीं थी न कि आप बहुत अच्छे लग रहे हैं। इधर मेरी आवाज़ पाकर नारायण जी भी हड़बड़ा कर उठ बैठे और बोले अरे.. क्या हुआ, , कौन है ? ?
उस स्त्री को शायद नारायण जी के मौजूद होने का अन्दाजा भी नहीं था। वह उनकी आवाज पाते हीं सन्न रह गई और पैर दबाये निकल गई। राहत की सांस लेते हुए मैंने कहा कि मैं तो समझ रहा था कि बड़ी अच्छी है किन्तु यह तो पूरी तरह से गड़बड़ है। मांग में किसी के नाम का सिंदूर पहने हुए इसे शर्म नहीं आई, लाज नहीं आईं । नारायण जी:— अरे कैसी लाज ? उसका पति विदेश में है और वह चरित्र हीन है। मुझे नहीं नहीं पता था कि बात यहां तक आ जाएंगी नहीं तो पहले ही बता दिया होता। वैसे भी तुमको भी चुप चाप मजे ले लेना चाहिए था ।आया हुआ मौका गंवा दिया।
मैंने कहा :— नारायण जी आप कैसी बातें कर रहे हैं वह एक स्त्री है अगर वह अपने पति के अलावा किसी और मर्द के साथ सम्बन्ध बनाती हैं तो चरित्रहीन और उसके साथ यदि दस लोग सम्बन्ध बनाए तो उनको क्या कहा जाएगा ? वैसे भी आप जानते हैं कि मैं भी शादी शुदा हूं मैं हंसी मजाक तो सबसे कर लेता हूं लेकिन इतना नीचे नहीं गिर सकता कि एक चरित्रहीन है तो मैं भी उसके साथ अपना चरित्र गिराकर उसी के जैसा बन जाऊं।
वैसे भी मैं अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता हूं। और यदि मेरी पत्नी ऐसा करें तो हमें बहुत बुरा लगेगा। उसी प्रकार से हमारी पत्नी भी हमसे यही उम्मीद करती हैं। और एक बात यह जान लीजिए कि एक पत्नी किसी के साथ अपना हर चीज साझा कर सकती हैं किन्तु अपने पति को साझा कभी नहीं कर सकतीं।
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