ये दवाइयां

कामुक स्त्री जो संबंध बनाने के लिए आतुर हो इस दुनिया में उससे खतरनाक कोई और नहीं हो सकता है
ये वो मीठा जहर है जो पहले तो अच्छा लगता है लेकिन बाद में नासूर बन के चुभता है


मेरा नाम आदित्य है, उम्र 26 साल। अगर आज आप मुझे देखें तो शायद यह सोचें कि मेरी जिंदगी कितनी शानदार है—महंगे कपड़े, गाड़ियां, और जेब में हमेशा पैसे। लेकिन इस चमक-धमक के पीछे एक ऐसा अंधेरा छिपा है, जो हर दिन मेरी आत्मा को कचोटता है। आज मैं आपसे अपनी कहानी साझा करना चाहता हूं, जो मेरी जिंदगी की सच्चाई है।
मैं एक छोटे से कस्बे में पला-बढ़ा। मेरा काम कंप्यूटर बनाना और उनकी मरम्मत करना था। दिनभर मेहनत करता, लेकिन महीने के आखिर में पैसे बस इतने होते थे कि घर का खर्च किसी तरह चल सके। मेरी मां हमेशा कहतीं, "बेटा, मेहनत से जो मिलता है, वही सच्चा होता है।" मैंने उनकी यह बात मानी भी, लेकिन मन के किसी कोने में यह ख्याल हमेशा रहता था कि मेरी जिंदगी कभी बेहतर नहीं होगी।
फिर एक दिन एक फोन आया। यह फोन शहर के सबसे अमीर इलाके से था, जहां एक महिला के कंप्यूटर में दिक्कत थी। जब मैं वहां पहुंचा, तो पहली बार जिंदगी के ऐशो-आराम का एक नया चेहरा देखा—बड़ा सा बंगला, महंगे फर्नीचर, और हर तरफ ऐश्वर्य की झलक। वहीं मेरी मुलाकात स्नेहा से हुई। स्नेहा 35-36 साल की खूबसूरत, आत्मनिर्भर और बेहद अमीर महिला थीं। उनके आत्मविश्वास और व्यक्तित्व ने मेरा ध्यान खींचा। मैंने उनका कंप्यूटर ठीक किया और लौटने से पहले उन्होंने कहा, "तुम्हारा काम अच्छा है। अगर कभी और जरूरत पड़ी, तो मैं तुम्हें कॉल करूंगी।"

कुछ दिनों बाद उनका फोन आया। इस बार उन्होंने कहा कि वे मुझसे मिलना चाहती हैं। मैं उनके घर गया। उन्होंने मुझे चाय ऑफर की और मेरी जिंदगी के बारे में पूछा। पहली बार किसी ने मेरी जिंदगी में इतनी दिलचस्पी दिखाई। बातों के दौरान उन्होंने कहा, "तुम मेहनती हो, लेकिन क्या तुमने कभी अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने के बारे में सोचा है?" मैंने हंसते हुए जवाब दिया, "सोचता हूं, लेकिन मेरे पास इतने साधन नहीं हैं।" 

उन्होंने फिर एक प्रस्ताव रखा। स्नेहा ने कहा कि अगर मैं उनके साथ थोड़ा समय बिताऊं, तो वे मुझे मेरी दो महीने की तनख्वाह से ज्यादा पैसे देंगी। उनकी बात सुनकर मैं अंदर से हिल गया। यह मेरे लिए बिल्कुल नया और अजीब था। मैंने पहले मना कर दिया, लेकिन उनकी बातों ने मेरे मन में हलचल मचा दी। उस रात मैं सो नहीं पाया। मुझे लगा, शायद यह मौका है अपनी जिंदगी को बदलने का। अगले दिन मैंने हामी भर दी।

स्नेहा ने न सिर्फ मुझे पैसे दिए, बल्कि मेरे लिए महंगे कपड़े खरीदे, शानदार रेस्टोरेंट्स में ले गईं, और ऐसी जगहों पर पहुंचाया, जहां मैं पहले कभी नहीं जा सकता था। धीरे-धीरे, उन्होंने मुझे अपनी अमीर दोस्तों से भी मिलवाया। उन महिलाओं ने मुझसे खुश होकर कहा कि अगर मैं उनके साथ समय बिताऊं, तो वे मेरी हर जरूरत पूरी करेंगी। 

मेरे पास अब पैसे, गाड़ियां और ऐशो-आराम की हर चीज थी। लेकिन यह दुनिया इतनी आसान नहीं थी। स्नेहा और उनकी दोस्तों की उम्मीदें मुझसे बढ़ने लगीं। उनके साथ हर समय ऊर्जावान बने रहना एक चुनौती बन गया। उन्होंने मुझे कुछ दवाइयां देना शुरू कर दीं। "ये तुम्हें थकने नहीं देंगी," उन्होंने कहा। शुरुआत में ये दवाइयां फायदेमंद लगीं, लेकिन धीरे-धीरे मैं उन पर निर्भर हो गया। बिना दवाइयों के मेरा शरीर कमजोर महसूस करने लगा।

जैसे-जैसे वक्त बीतता गया, मेरी जिंदगी की चमक फीकी पड़ने लगी। स्नेहा ने मुझसे मिलना बंद कर दिया। जिन महिलाओं ने कभी मेरी जरूरतों का ख्याल रखा था, अब वे मुझसे कतराने लगीं। मुझे एहसास हुआ कि मैं उनकी जिंदगी में सिर्फ एक खिलौना था। मेरे पास पैसे तो थे, लेकिन कोई अपना नहीं था।

दवाइयों ने मेरा शरीर बर्बाद कर दिया। डॉक्टर ने बताया कि मेरा लिवर और दिल अब पहले जैसे नहीं हैं। मैं केवल 26 साल का हूं, लेकिन मेरी हालत एक बूढ़े इंसान जैसी हो गई है। मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैंने यह सब क्यों किया—क्या यह सिर्फ पैसों के लिए था? या उन सपनों के लिए, जो अब टूट चुके हैं?

आज, मैं अकेला हूं। मेरे पास पैसे हैं, लेकिन न तो सेहत और न ही खोए हुए रिश्ते वापस पा सकता हूं। अगर आप मेरी कहानी सुन रहे हैं, तो मैं आपसे यही कहना चाहता हूं—"जिंदगी में पैसे कमाएं, लेकिन अपनी सच्चाई, अपने रिश्तों और अपनी आत्मा को कभी मत बेचें। जिस जिंदगी को मैंने अपना सपना समझा, वह एक जाल थी। और उस जाल ने मुझे ऐसा घाव दिया है, जो शायद कभी नहीं भरेगा।"

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